हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से भारत में महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, खासकर देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में। यह त्योहार भाद्रपद के चंद्र महीने के शुक्ल पक्ष (शुक्ल पक्ष) के तीसरे दिन पड़ता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में पड़ता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन का स्मरण कराता है। महिलाएं व्रत रखती हैं, पारंपरिक परिधान पहनती हैं और इस शुभ दिन के दौरान विभिन्न अनुष्ठान करने के लिए एकत्र होती हैं।
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कुछ क्षेत्रों में, महिलाएं दिव्य जोड़े की जटिल मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं और वैवाहिक आनंद और अपने परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। हरतालिका तीज भक्ति, संगीत और नृत्य से भरा दिन है।
हरतालिका तीज की पूजा विधि
उपवास: महिलाएं त्योहार के महत्व के प्रति अपना समर्पण प्रदर्शित करते हुए, बिना भोजन या पानी के एक दिन का उपवास रखती हैं। यह व्रत अपने पति की सलामती और समृद्धि के लिए या प्यार करने वाला साथी पाने के लिए किया जाता है।
पूजा और प्रार्थना: मंदिरों और घरों को फूलों, धूप और तेल के दीपकों से सजाया जाता है। भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं, एक आनंदमय वैवाहिक जीवन और सामंजस्यपूर्ण रिश्ते के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
झूले और गायन: महिलाएं, विशेष रूप से युवा लड़कियां, झूले सजाती हैं और लोक गीत गाने का आनंद लेती हैं, जो उत्सव में जीवंत स्पर्श जोड़ते हैं। हरतालिका तीज का यह सांस्कृतिक पहलू खुशी और साहचर्य की एक आनंदमय अभिव्यक्ति है।
हरतालिका तीज का महत्व
बंधनों को मजबूत बनाना: हरतालिका तीज विवाहित जोड़ों को एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। यह विवाह के बंधन को संजोने और साझा किए गए प्यार और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करने का दिन है।
सांस्कृतिक उत्सव: हरतालिका तीज रंग-बिरंगे अनुष्ठानों, पारंपरिक संगीत और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक छवि को प्रदर्शित करता है। यह एक ऐसा समय है जब परिवार एक साथ आते हैं, हँसी-मजाक करते हैं और स्वादिष्ट भोजन करते हैं।