वाशिंगटन:
अमेरिका ने भारत को 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोब्वाॅय बेचने का निर्णय लिया है। इस कदम से नई दिल्ली की पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन की क्षमता में वृद्धि होगी।
सोनोब्यूय हवा से प्रक्षेपित, व्यय करने योग्य, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सेंसर हैं जिन्हें पानी के नीचे की आवाज़ों को रिमोट प्रोसेसर तक पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये प्रभावी और किफायती एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) हैं जिनका उपयोग हवाई ASW युद्धक विमानों द्वारा किया जा सकता है।
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने इस सप्ताह सीनेट की विदेश संबंध समिति को दी गई सूचना में कहा, “प्रस्तावित बिक्री से भारत की एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों से पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने की क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा। भारत को अपने सशस्त्र बलों में इस उपकरण को शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी।”
शस्त्र निर्यात नियंत्रण अधिनियम के अनुसार, कांग्रेस के पास बिक्री की समीक्षा के लिए 30 दिन का समय है।
कांग्रेस की अधिसूचना के अनुसार, भारत ने एएन/एसएसक्यू-53ओ हाई एल्टीट्यूड एंटी-सबमरीन वारफेयर (एचएएएसडब्लू) सोनोब्यूय, एएन/एसएसक्यू-62एफ एचएएसडब्लू सोनोब्यूय और एएन/एसएसक्यू-36 सोनोब्यूय खरीदने का अनुरोध किया था। अनुमानित कुल लागत 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
अधिसूचना में कहा गया है, “यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों को समर्थन प्रदान करेगी, जिससे अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी और एक प्रमुख रक्षा साझेदार की सुरक्षा में सुधार होगा, जो हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशिया क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति और आर्थिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है।”
23 अगस्त को, विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत को 52.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर एंटी-सबमरीन वारफेयर सोनोबॉय और संबंधित उपकरणों की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दी।
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)