गुवाहाटी:
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि उनकी सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके लड़कियों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
आज कैबिनेट की बैठक में उन्होंने कहा कि सरकार ने असम निरसन विधेयक 2024 के जरिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।
यह ऐसे समय में आया है जब असम में 2021 और 2024 के बीच बाल विवाह में 81 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में निरसन विधेयक 2024 पेश किया जाएगा तथा नया कानून लाया जाएगा
श्री सरमा ने पहले कहा था कि 2026 तक असम से बाल विवाह पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
असम सरकार ने पिछले वर्ष के बजट में 200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ राज्य में 'बाल विवाह रोकथाम मिशन' शुरू किया था।
असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 के तहत नौ या 10 वर्ष से कम आयु के लोगों के विवाह की अनुमति थी।
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत पिछले साल के पहले दो महीनों में 3,098 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। राज्य में इस साल 3 फरवरी से बाल विवाह के 4,363 मामले दर्ज किए गए।
श्री सरमा ने मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के तुरंत बाद एक्स पर लिखा, “हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।”
उन्होंने कहा, “असम कैबिनेट की आज की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के जरिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का फैसला किया है।”