
अगले सप्ताह जम्मू-कश्मीर भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पांच साल पूरे कर लेगा।
श्रीनगर:
भारत के चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव 30 सितंबर से पहले करा लिए जाएंगे, जो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा है। सूत्रों का कहना है कि अगले 10 दिनों में पूरा आयोग केंद्र शासित प्रदेश का दौरा कर सकता है।
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपने गृह जिलों में तैनात अधिकारियों के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया से जुड़े उन अधिकारियों को स्थानांतरित करने को कहा है, जिनका 30 सितंबर को या उससे पहले तीन साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।
इसी प्रकार के निर्देश हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के मुख्य सचिवों को भी दिए गए हैं, जहां इस वर्ष के अंत में चुनाव होने हैं।
हरियाणा के मामले में चुनाव आयोग ने 31 अक्टूबर या उससे पहले तीन साल पूरा करने वाले अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए कहा है, जबकि महाराष्ट्र के लिए यह तिथि 30 नवंबर है, जबकि झारखंड के लिए यह तिथि 31 दिसंबर है।
जम्मू और कश्मीर में छह वर्षों से अधिक समय से कोई निर्वाचित सरकार नहीं है और आखिरी विधानसभा चुनाव दिसंबर 2014 में हुए थे।
अगले हफ़्ते जम्मू-कश्मीर भी केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर पांच साल पूरे कर लेगा। 5 अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था और अनुच्छेद 370 के तहत इसका विशेष दर्जा हटा दिया गया था। तब से जम्मू-कश्मीर का प्रशासन उपराज्यपाल के हाथों में है।
केंद्र ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में भी संशोधन किया है, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल को व्यापक अधिकार मिल गए हैं। ये संशोधन दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश मॉडल के अनुरूप हैं, जहाँ निर्वाचित सरकार के पास नौकरशाही पर बहुत कम अधिकार होते हैं और कई शक्तियाँ उपराज्यपाल के पास होती हैं।
विपक्षी दलों ने केंद्र के इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और इसे “लोकतंत्र विरोधी” करार दिया है। उनका आरोप है कि एलजी को व्यापक अधिकार देने से निर्वाचित सरकार रबर स्टैंप बन जाएगी।
जून में श्रीनगर की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव होंगे और राज्य का दर्जा भी बहाल किया जाएगा।