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“प्रवेश नहीं कर सकते…”: अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट की शर्तें

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“प्रवेश नहीं कर सकते…”: अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट की शर्तें


अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार

अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार स्वाति मालीवाल मारपीट मामले में सभी गवाहों की जांच होने तक दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास में प्रवेश नहीं कर सकते, यह बात सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए कही।

राज्यसभा सदस्य 39 वर्षीय सुश्री मालीवाल ने आरोप लगाया है कि बिभव कुमार 13 मई को मुख्यमंत्री आवास पर उन पर हमला किया गया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने श्री कुमार पर कुछ शर्तें भी लगाईं और कहा कि उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री के निजी सचिव या मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े किसी भी राजनीतिक पद पर बहाल नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि 43 वर्षीय कुमार मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश नहीं करेंगे जब तक सभी गवाहों की जांच नहीं हो जाती।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इंडिया अगेंस्ट करप्शन के दिनों से अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे श्री कुमार इस मामले पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे, जो कि ट्रायल कोर्ट में विचाराधीन है।

अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि श्री कुमार 100 दिनों से हिरासत में हैं और मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है।

इसने यह भी माना कि अभियोजन पक्ष ने 51 से अधिक गवाहों के परीक्षण का प्रस्ताव रखा है तथा मुकदमे के समापन में कुछ समय लगेगा।

शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एसवी राजू से कहा, “याचिकाकर्ता 100 दिनों से हिरासत में है। आरोपपत्र दाखिल किया गया है। चोटें साधारण हैं। यह जमानत का मामला है, आपको विरोध नहीं करना चाहिए। आप ऐसे मामले में किसी व्यक्ति को जेल में नहीं रख सकते।” राजू कुमार को जमानत दिए जाने का विरोध कर रहे थे।

श्री कुमार ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जमानत देने से इंकार करने के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

12 जुलाई को उच्च न्यायालय ने श्री कुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनका “काफी प्रभाव” है और उन्हें राहत देने का कोई आधार नहीं बनता।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यदि श्री कुमार को जमानत पर रिहा किया गया तो गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है।

16 मई को श्री कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिनमें आपराधिक धमकी, महिला के कपड़े उतरवाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना तथा गैर इरादतन हत्या का प्रयास करना शामिल है।



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