देश में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के तरीके में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर हितधारकों से सुझाव मांगना शुरू कर दिया, यह प्रक्रिया 7 जुलाई तक चलेगी।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष आर राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाले सात सदस्यीय पैनल को परीक्षा प्रक्रियाओं में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने और एनटीए की संरचना और संचालन की समीक्षा करने की सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, “समिति 27 जून से 7 जुलाई तक हितधारकों, विशेष रूप से छात्रों और अभिभावकों से सुझाव, विचार और राय मांग रही है। सुझाव 'माईगव' प्लेटफॉर्म का उपयोग करके प्रस्तुत किए जा सकते हैं।”
समिति ने सोमवार को अपनी पहली बैठक की, जिसके दौरान उसने अभिभावकों और छात्रों से संपर्क कर एनटीए द्वारा परीक्षा आयोजित करने के तरीके से उनकी समस्याओं को समझने तथा इसमें सुधार के लिए उनके सुझाव मांगने का निर्णय लिया।
पैनल का गठन ऐसे समय में किया गया है जब एनटीए इस वर्ष स्नातक कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) के आयोजन में कथित अनियमितताओं, डार्कनेट पर पेपर लीक होने के कारण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) को रद्द करने और सीएसआईआर-यूजीसी-नेट को स्थगित करने के कारण जांच के दायरे में है।
हंगामे के बाद केंद्र ने एनटीए प्रमुख सुबोध कुमार सिंह को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला को नियुक्त किया।
राधाकृष्णन समिति के अन्य सदस्यों में एम्स-दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.जे. राव, आईआईटी-मद्रास के प्रोफेसर राममूर्ति के. शामिल हैं।