राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि 2047 तक भारत को सबसे विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और स्वतंत्र बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उन्होंने पिछड़े समुदायों के लोगों को विकास की राह पर आगे बढ़ाने में सभी का सहयोग मांगा। देवी अहिल्याबाई होल्कर विश्व विद्यालय (डीएवीवी) के हीरक जयंती वर्ष के अवसर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में मुर्मू ने कहा, “मैं सभी शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षकों से बेटियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान करना चाहूंगी, क्योंकि हम 2047 तक भारत को सबसे विकसित और सबसे उन्नत देश बनाना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “…इसलिए हम सभी को महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए समर्थन और प्रोत्साहन देने की जरूरत है, क्योंकि वे देश की आधी आबादी हैं। अगर हमारी बेटियां बड़े सपने देखेंगी और आपके समर्थन और मार्गदर्शन से उसे साकार करेंगी, तभी वे सही मायने में देश के विकास में भागीदार बन पाएंगी।”
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राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह में स्वर्ण और रजत पदक पाने वाले मेधावी छात्रों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक थी। सामूहिक विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास' का नारा दिया है।”
उन्होंने कहा, “देश को आगे ले जाने के लिए सामूहिक विकास जरूरी है। इसलिए पिछड़े लोगों को (विकास की दौड़ में) आगे लाने के लिए सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि सभी का सहयोग जरूरी है।” उन्होंने कहा, “हमेशा याद रखें कि सबके विकास में ही आपका विकास निहित है। सिर्फ अपनी आजीविका और अपने परिवार का विकास ही आपका लक्ष्य नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने इंदौर के पूर्ववर्ती होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्याबाई को उनकी 300वीं जयंती के वर्ष में प्रशासन, न्याय, महिला सशक्तिकरण, जन कल्याण और आदिवासी विकास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए याद किया। राष्ट्रपति ने कहा, “देवी अहिल्याबाई का जीवन इस बात का उदाहरण है कि महिलाएं किस तरह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक सहित सभी क्षेत्रों में सक्रिय होकर क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई 18वीं सदी में भी शिक्षा के महत्व को समझती थीं और उनके पिता ने उन्हें उस समय शिक्षित किया जब लड़कियों का पढ़ना आम बात नहीं थी और लोग इसके खिलाफ थे। स्नातक करने वाले छात्रों को उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्र ज्ञान और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करके समावेशी और सतत विकास को बढ़ावा देंगे, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी बात की। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं। एक शोधार्थी को डॉक्टर ऑफ साइंस (डीएससी) की डिग्री और 139 शोधार्थियों को पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।
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