गुवाहाटी, रविवार को भूपेन हजारिका की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए तथा संगीत के जादूगर की रचनाएं पूरे असम में गूंजती रहीं।
असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “बुरहलुइट के सदैव बहते जल की तरह, सुधाकांत के प्रेम, एकता और सद्भाव के शब्द प्रत्येक असमवासी के दिलों में गूंजते रहें।”
ब्रह्मपुत्र को बुरहलुइट भी कहा जाता है, तथा हजारिका के लिए 'सुधाकंठ' प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा, “मैं सदाबहार कलाकार भारत रत्न डॉ. भूपेन हजारिका को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने लिखा, “डॉ. भूपेन हजारिका का संगीत सभी बाधाओं को पार करता है! उनके गीत न्याय, सद्भाव और भाईचारे का संदेश देते हैं। आज उनकी जयंती पर हम ब्रह्मपुत्र के कवि को श्रद्धांजलि देते हैं।”
राज्य सरकार ने शहर के बाहरी इलाके जालुकबारी में 'ब्रह्मपुत्र के महाराज' के समाधि क्षेत्र में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।
असम के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री बिमल बोरा ने समाधि क्षेत्र में हजारिका की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित की, जहां एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
भूपेन हजारिका सांस्कृतिक न्यास ने भी दिवंगत कलाकार को श्रद्धांजलि देने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम के तहत विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा 99 झंडे फहराए गए, जबकि इस अवसर पर संगीत के उस्ताद के गीत भी प्रस्तुत किए गए।
शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने भी कार्यक्रम में ध्वजारोहण किया तथा लोगों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में हजारिका द्वारा बताए गए भाईचारे और सद्भाव के आदर्शों को अपनाएं।
राज्य के विभिन्न भागों में महान संगीतकार को श्रद्धांजलि अर्पित की गई तथा उनकी 98वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित किए गए।
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