नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जो पिछले कई दिनों से संसद में अपने केंद्रीय बजट को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं, आज विपक्ष की शिकायतों की लंबी सूची को संबोधित करने के लिए तैयार हैं। इनमें से सबसे बड़ी शिकायत विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से आई – कि सारा आरोप एनडीए के दो सहयोगी दलों, बिहार और आंध्र प्रदेश पर लगाया गया है।
वित्त मंत्री कई दिनों से यह कह रही हैं कि बजट भाषण में केवल मुख्य बातें हैं और सभी राज्यों को उनका हिस्सा मिल चुका है। आज उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर यूपीए काल के बजट भाषणों का विश्लेषण करके नतीजे पेश किए।
उन्होंने कहा, “मैं 2004-05 से ही बजटों पर नज़र रख रही हूँ। 2004-05 में बजट भाषण में 17 राज्यों का नाम नहीं था। 2006-07 में 16 राज्यों का नाम नहीं था… 2009 में 26 राज्यों का नाम नहीं था – बिहार और यूपी।” बजट पर बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मैं यूपीए सरकार से पूछना चाहती हूँ – क्या उन राज्यों को पैसा नहीं दिया गया।”
उन्होंने कहा, “मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहती हूं कि सभी सदस्य जानते हैं कि यदि किसी राज्य का नाम नहीं लिया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें पैसा नहीं मिलेगा। यह एक भ्रामक अभियान है। मुझे यह जानकर दुख होता है कि वे कह सकते हैं कि यदि आपने किसी राज्य का नाम नहीं लिया है तो उसे कुछ नहीं मिलेगा।”
मंत्री ने कहा, “यदि आप आंकड़ों को विकृत करना चाहते हैं, भय की भावना पैदा करना चाहते हैं तो आप आंकड़ों को विकृत कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, हमारे मंत्री प्रत्येक राज्य में जाते हैं और बताते हैं कि प्रत्येक राज्य को कितना दिया जाता है।”
मंत्री ने सामाजिक क्षेत्र और कल्याणकारी योजनाओं की अनदेखी के आरोपों का जवाब देने के लिए इस साल और पिछले साल के कई आंकड़े भी पढ़े। राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष ने भी आरोप लगाया है कि किसानों, छोटे व्यापारियों और एमएसएमई के लिए कुछ भी नहीं है।
मंत्री ने कहा, “कृषि और किसान कल्याण विभाग के लिए बजट आवंटन 2013-2014 में केवल 21,934 करोड़ रुपये था। हालांकि, 2024-2025 में यह बढ़कर 1.23 लाख करोड़ रुपये हो गया है।”
उन्होंने कहा कि यह पांच गुना वृद्धि है, “पीएम किसान योजना के शुभारंभ के बाद से 11 करोड़ से अधिक किसानों को 3.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक वितरित किए गए हैं।”
कल विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बजट को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया था और पेपर लीक तथा जाति जनगणना जैसे मुद्दों पर सरकार की चुप्पी का जिक्र किया था।