नई दिल्ली:
सुप्रसिद्ध लोक गायक शारदा सिन्हाका अंतिम संस्कार आज (7 नवंबर) पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। एम्स दिल्ली के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि सेप्टिसीमिया के कारण होने वाले दुर्दम्य सदमे के कारण मंगलवार शाम को उनकी मृत्यु हो गई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की शारदा सिन्हामुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पद्म भूषण पुरस्कार विजेता को उनके अंतिम संस्कार के दौरान पूर्ण राजकीय सम्मान दिया जाएगा।
अपने मधुर लोक संगीत के लिए “बिहार कोकिला” के रूप में जानी जाती हैं। शारदा सिन्हा वह 2018 से मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार का रक्त कैंसर से जूझ रही थीं। उनका एम्स दिल्ली के ऑन्कोलॉजी विभाग में इलाज चल रहा था।
एक भावनात्मक बयान में, उनके बेटे, अंशुमान सिन्हा ने साझा किया कि परिवार ने उनका अंतिम संस्कार पटना में उसी स्थान पर करने का फैसला किया है, जहां उनके पिता का संस्कार हुआ था। उन्होंने कहा, ''यह हमारे लिए दुखद समय है।'' “वह हम सभी के बहुत करीब थीं, और यह उन सभी के लिए एक झटका था जो उन्हें जानते थे। मेरी मां की उपस्थिति हमेशा उनके गीतों के माध्यम से महसूस की जाती थी, और उनका मातृत्व उनके संगीत और उनके व्यक्तित्व दोनों में परिलक्षित होता था। वह हमेशा मौजूद रहेंगी।” लोगों के दिल” उन्होंने जोड़ा।
पोस्ट-अंशुमान सिन्हा
आप सभी की प्रार्थना और प्यार हमेशा माँ के साथ बने रहें।
माँ को छठी मईया ने अपने पास बुला लिया। माँ अब शारीरिक रूप से हम सबके बीच में नहीं रहती। # pic.twitter.com/dBy9R8K3Mf-शारदा सिन्हा (@shardasinha) 5 नवंबर 2024
शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर बुधवार तड़के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचा और उनका अंतिम संस्कार पटना में होगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सिन्हा को राष्ट्रीय श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन को संगीत जगत के लिए एक “अपूरणीय क्षति” बताया। उन्होंने भोजपुरी और मैथिली लोक संगीत में उनके महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपने बयान में कहा, ''उनके मधुर गीतों की गूंज हमेशा बनी रहेगी।''
सुप्रसिद्ध लोक वैज्ञानिक शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुःख हुआ। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके समधुर कलाकारों की गूंज भी हमेशा बनी रहेगी। उनका प्रसिद्ध संगीत जगत एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस… pic.twitter.com/sOaLvUOnrW
-नरेंद्र मोदी (@नरेंद्रमोदी) 5 नवंबर 2024
1970 के दशक में शुरू हुआ शारदा सिन्हा का करियर कई दशकों तक चला और इसमें भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में अनगिनत योगदान शामिल थे। वह छठ गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए विशेष रूप से पूजनीय थीं, जो त्योहार का एक अभिन्न अंग बन गया।
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