चाईबासा:
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में एक महिला समेत कम से कम चार माओवादी मारे गए।
उन्होंने बताया कि मुठभेड़ झारखंड की राजधानी रांची से करीब 200 किलोमीटर दूर गुआ पुलिस थाना क्षेत्र के लिपुंगा इलाके के पास सुबह करीब पांच बजे शुरू हुई।
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता और आईजी (ऑपरेशन) अमोल वी होमकर ने पीटीआई को बताया, “मुठभेड़ में चार माओवादी मारे गए, जबकि दो को गिरफ्तार कर लिया गया है।”
होमकर ने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान एक इंसास राइफल, दो एसएलआर, तीन राइफल (.303) और एक (9 एमएम) पिस्तौल बरामद की गई।
बाद में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मारे गए माओवादियों की पहचान प्राथमिक सूत्रों से हुई है, जिसमें चाईबासा के थलकोबाद निवासी जोनल कमांडर कांडे होनहागा, उसके सिर पर इनाम था, छत्तीसगढ़ के जैगुर थाना क्षेत्र निवासी सब-जोनल कमांडर सिंगराय उर्फ मनोज, एरिया कमांडर सूर्या उर्फ मुंडा देवगम और एक महिला माओवादी जंगा पुरती उर्फ मारला शामिल हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सिंगराय पर 10 लाख रुपये, कांडे पर 5 लाख रुपये और सूर्या पर 2 लाख रुपये का इनाम था।
सिंगराई और कांडे संगठन में आईईडी विशेषज्ञ थे। आईजी ने बताया कि सिंगराई को इलाके में आईईडी बिछाने और उसकी निगरानी करने का काम सौंपा गया था।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार माओवादियों की पहचान एरिया कमांडर टाइगर उर्फ पांडू हांसदा और बत्री देवगम के रूप में हुई है।
होमकर ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि सीपीआई (माओवादी) पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा और केंद्रीय समिति के सदस्य अनल के दस्तों के अजय महतो, कांडे और सिंगराय समेत कुछ माओवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए लिपुंगा जंगलों के पास एकत्र हुए हैं।
होमकर ने बताया, “सूचना के आधार पर चाईबासा पुलिस, कोबरा 209, झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ के सुरक्षा बलों ने संयुक्त तलाशी अभियान चलाया। जब टीम सुबह पांच बजे इलाके में पहुंची तो माओवादियों ने तलाशी दल पर हमला कर दिया। आत्मरक्षा में सुरक्षा बलों ने भी गोलीबारी की। करीब एक घंटे तक गोलीबारी जारी रही।”
मुठभेड़ समाप्त होने के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की तलाशी ली और चार शवों के साथ अत्याधुनिक हथियारों सहित गोला-बारूद बरामद किया।
उन्होंने कहा, “भागने की कोशिश कर रहे दो माओवादियों को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया।”
होमकर ने कहा कि कोल्हान और सारंडा को राज्य में माओवादियों का एकमात्र गढ़ माना जाता है। उन्होंने कहा, “सुरक्षा बलों के लगातार अभियान के कारण माओवादी केवल कुछ ही जगहों तक सीमित रह गए हैं। पुलिस बूढ़ा पहाड़, चतरा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा, रांची और पारसनाथ जैसे सभी प्रमुख इलाकों से उनकी गतिविधियों पर लगाम लगाने में सफल रही है।”
होमकर ने इसे एक “ऐतिहासिक” उपलब्धि बताते हुए माओवादियों से राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा।
(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित किया गया है।)