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केदारनाथ में भूस्खलन से 3 तीर्थयात्रियों की मौत, 8 घायलों को अस्पताल ले जाया गया

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केदारनाथ में भूस्खलन से 3 तीर्थयात्रियों की मौत, 8 घायलों को अस्पताल ले जाया गया



यह दुर्घटना गौरीकुंड और चिरबासा के बीच मार्ग पर हुई।

नई दिल्ली:

अधिकारियों ने बताया कि आज उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर जाते समय बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कम से कम तीन तीर्थयात्रियों की मौत हो गई।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड-केदारनाथ ट्रेकिंग रूट पर चिरबासा इलाके के पास हुई इस दुर्घटना में आठ लोग घायल भी हुए हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया है।

एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि पीड़ितों की पहचान महाराष्ट्र के नागपुर निवासी किशोर अरुण परते (31), महाराष्ट्र के जालना जिले के निवासी सुनील महादेव काले (24) और रुद्रप्रयाग के अनुराग बिष्ट के रूप में हुई है।

रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट ने बताया, “केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चिरबासा में श्रद्धालु मलबे में दब गए हैं। राज्य आपदा मोचन बल और जिला आपदा मोचन बल की टीमें बचाव अभियान चला रही हैं।”

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “चोटों और जानमाल के नुकसान की संभावना को न्यूनतम करने के प्रयास जारी हैं। जिला प्रशासन ने यात्रियों से सुरक्षित स्थान पर रहने का अनुरोध किया है।”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दुर्घटना में लोगों की मृत्यु पर दुख व्यक्त किया है।

उन्होंने एक्स पर लिखा, “दुर्घटना स्थल पर राहत एवं बचाव कार्य जारी है। मैं इस संबंध में लगातार अधिकारियों के संपर्क में हूं। दुर्घटना में घायल हुए लोगों को बेहतर उपचार मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं।”

इससे पहले दिन में बिशनपुर के पास गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन के कारण बंद कर दिया गया था।

पिछले कुछ सप्ताहों में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण उत्तराखंड के कुछ प्रमुख राजमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं।

मौसम कार्यालय ने चेतावनी जारी की है उत्तराखंड में रेड अलर्ट रविवार और सोमवार के लिए मौसम विभाग ने कहा कि इस दौरान राज्य के कई हिस्सों में अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है।

चार धाम यात्रा

केदारनाथ मंदिर किसका हिस्सा है? चार धाम यात्राइस साल 10 मई को चार धाम यात्रा शुरू हुई थी। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा भी करते हैं। हिंदू धर्म में इस यात्रा का गहरा आध्यात्मिक महत्व है और यह यात्रा आमतौर पर अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर तक होती है।

ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा को घड़ी की सुई की दिशा में पूरा करना चाहिए। इसलिए, तीर्थयात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ पर समाप्त होती है।





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