
आरोपी की पहचान संजय रॉय के रूप में हुई है।
कोलकाता:
कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। स्नातकोत्तर मेडिकल छात्रा आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में मृत पाई गई।
रिपोर्टों के अनुसार संजय रॉय एक नागरिक स्वयंसेवक है, लेकिन कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने कई प्रश्नों के बावजूद प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोपी के पेशे की पुष्टि नहीं की।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “वह जो भी हो, वह एक अपराधी है क्योंकि उसने बहुत जघन्य अपराध किया है। वह उच्चतम स्तर की सजा का हकदार है। उसके खिलाफ सबूत एकत्र कर लिए गए हैं।”
शीर्ष पुलिस अधिकारी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कल पुष्टि की कि यौन उत्पीड़न के संकेत मिले हैं।
रॉय ने अपना ब्लूटूथ हेडफोन अपराध स्थल पर ही छोड़ दिया था, जिसके कारण उसे गिरफ्तार कर लिया गया। यह उसके खिलाफ मुख्य सबूत साबित हुआ, क्योंकि सीसीटीवी फुटेज में भी वह घटना के संभावित समय पर वहां मौजूद था।
घटनास्थल से अन्य भौतिक साक्ष्य भी एकत्र किये गये हैं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम इस घटना से बेहद दुखी और गुस्से में हैं। हम परिवार के सदस्यों और डॉक्टरों के साथ हैं। हम पारदर्शी जांच प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। अगर परिवार की ओर से किसी अन्य एजेंसी से जांच की मांग की जाती है, तो हमें कोई समस्या नहीं है।”
मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में किए गए शव परीक्षण की वीडियोग्राफी भी की गई तथा उसके परिवार के सदस्य गवाह के रूप में मौजूद थे।
पुलिस ने फोरेंसिक टीम के साथ मिलकर सात सदस्यों वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई है। इसका नेतृत्व डिटेक्टिव डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर कर रहे हैं और इसकी निगरानी एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कर रहे हैं।
सुरक्षा को लेकर छात्र चिंतित
इस चौंकाने वाली घटना के बाद छात्रों ने परिसर में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।
इस घटना को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में प्रदर्शन किया, लेकिन छात्रों का कहना है कि वे अस्पताल परिसर में राजनीति नहीं होने देंगे।
इस घटना ने राजनीतिक वाद-विवाद को भी जन्म दे दिया है, जिसमें भाजपा और सीपीएम दोनों ने पुलिस जांच को अपर्याप्त बताया है। राज्य भाजपा प्रमुख सुकांत मजूमदार ने कहा, “गिरफ्तारी एक दिखावा हो सकती है। केवल सीबीआई जांच ही सच्चाई को उजागर कर सकती है और न्याय दिला सकती है।”
सत्तारूढ़ तृणमूल ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया है।
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा, “सस्ती राजनीति के बजाय, भाजपा को बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के मामले में त्वरित सुनवाई के लिए अध्यादेश लाना चाहिए और विपक्ष के रूप में हम इसका समर्थन करेंगे।” उन्होंने ऐसी व्यवस्था की मांग की जो परिस्थितिजन्य साक्ष्य वाले मामलों में सात दिनों में सुनवाई सुनिश्चित करे।
श्री बनर्जी ने कहा, “आरोपियों को या तो मृत्युदंड दिया जाना चाहिए (फांसी पर लटका देना चाहिए) या उनका एनकाउंटर कर दिया जाना चाहिए। ये लोग समाज में जगह पाने के लायक नहीं हैं और उन पर सालों तक चलने वाले मुकदमे के दौरान पैसा बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है।”
“छिपाने को कुछ नहीं”: ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण और घृणित” बताया और कहा कि उनके सहकर्मियों का गुस्सा जायज है। उन्होंने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से मरीजों की अनदेखी न करने का आग्रह किया और उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने एक स्थानीय टीवी चैनल से कहा, “मैंने पीड़ित परिवार से बात की और उन्हें उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। मैंने मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने का निर्देश दिया है। अगर जरूरत पड़ी तो आरोपियों को फांसी की सजा दी जाएगी, हालांकि मैं मृत्युदंड के पक्ष में नहीं हूं। उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।”
सुश्री बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्हें केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग पर कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि प्रशासन के पास “छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है”।