पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को पंजाबी भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कूलों में पंजाबी अध्यापकों के सभी रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने की घोषणा की।
शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय समारोह के दौरान उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी भाषा को और अधिक बढ़ावा देना समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक पंजाबी की मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए कर्तव्यबद्ध है और इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
मान ने विद्यार्थियों को पंजाबी भाषा बोलने और लिखने के लिए भी प्रेरित किया ताकि वे अपनी विरासत से परिचित रह सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में पद रिक्त होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
पंजाब को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, उनकी सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पहले ही “अग्रणी पहल” की है। मान ने कहा कि पंजाब के इतिहास में पहली बार राज्य भर के सरकारी स्कूलों में एक मेगा अभिभावक-शिक्षक बैठक आयोजित की गई।
उन्होंने कहा कि वे शिक्षक समुदाय के समक्ष आने वाली सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के बेटे के रूप में वे शिक्षकों की समस्याओं को अच्छी तरह से जानते हैं और उनका समाधान करना उनका कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि राज्य का खजाना जनता का है और इसका एक-एक पैसा समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग किया जाएगा।
मान ने कहा कि सरकार शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन पर जोर दे रही है। वह नियमित रूप से स्कूल प्रिंसिपलों और शिक्षकों को देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों में भेज रही है, ताकि वे अपनी विशेषज्ञता को बढ़ा सकें।
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक विश्व भर में शिक्षा क्षेत्र की उन्नत प्रथाओं के बारे में जान सकें।
स्कूलों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नवीनतम तकनीक से लैस किया गया है, 'स्कूल ऑफ एमिनेंस' ने राज्य के लोगों की नियति बदल दी है। मान ने कहा कि सरकारी स्कूलों के 158 छात्रों ने पहली बार प्रतिष्ठित संयुक्त प्रवेश परीक्षा पास की है।
उन्होंने कहा कि यह तो केवल शुरुआत है, आने वाले दिनों में ऐसे और भी परिणाम सामने आएंगे, जिसके लिए पंजाब सरकार कड़ी मेहनत कर रही है।